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हमसे खिंचत न गगरिया कमर मोरी छल्ला मुन्दरिया / अवधी
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♦ रचनाकार: सिद्धार्थ सिंह
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हमसे खिंचत न गगरिया कमर मोरी छल्ला मुन्दरिया
वोहि सासू मोरी जनम की बैरनि,
दुई-दुई भरावें गगरिया, कमर मोरी छल्ला मुन्दरिया
वोहि देवरा मोरे बचपन का साथी
काँधे टेकावै गगरिया मोरी छल्ला मुन्दरिया
अंटा चढ़े उइ सैयां जो देखैं,
कहैं इक-इक उठावो गगरिया, कमर तोरी छल्ला मुन्दरिया
जो सैयां हमें इतना चाहत हो,
भोरै लगावौ कहरिया, कमर मोरी छल्ला मुन्दरिया