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हमसे खुश हो जाओ जी / शकुंतला कालरा
Kavita Kosh से
सुबह-सुबह मुस्काने वाले,
सूरज काका आओ जी।
हम सब गरमी से घबराएँ,
इसको दूर हटाओ जी।
क्यों होते हो गुस्सा हमसे,
आकर ज़रा बताओ जी।
गुस्सा अपना दूर भगाओ,
खीरा-ककड़ी खाओ जी।
आओ पास हमारे आओ,
कुल्फी तुम्हें खिलाएँगे।
मीठी-मीठी बात करेंगे,
शरबत-जूस पिलाएँगे।
इतनी गरमी ठीक नहीं है,
शांत-शांत हो जाओ जी।
मटके वाला पानी पीकर,
कूलर में सो जाओ जी।
पी लो ठंडा कोका कोला,
आइसक्रीम भी खाओ जी,
ठंडी लैमन, लस्सी पीकर,
हमसे खुश हो जाओ जी।