हमाओ बीघन कौ परिवार / जगदीश सहाय खरे 'जलज'
हमाओ बीघन कौ परिवार
चलाबैं कैसें हम करतार!
दयानिध कर दो बेड़ा पार।
तनक-सौ घर भारी किल्लूर
डरन के मारैं रत हम दूर
एक जौ चटा चाट रओ चाट
एक जौ पड़ा पटक रओ खाट।
एक जौ खड़ौ खुजा रऔ खाज
एक जो मुरा, मुरा रऔ प्याज
एक जौ सिड़ी सुड़क रऔ नाक
एक जौ चड़ौ टोर रओ छाज
एक जे लला बुआ रए लार
मताई कानों करै समार
हारकैं रोउन अँसुबा ढार
काए खौं पबरौ जौ परिवार।
एक जौ खड़ी खाट पै खड़ौ
एक जौ फिरत स्थाई में भिड़ौ
कढ़ोरा अलमारी सें कड़ौ
लल्तुआ लालटेन पै चड़ौ।
चतुरिया चूले ऊपर चड़ी
चाट रइ हँड़िया में की कड़ी
रमकुरा जात खुजाउत मुड़ी
सिमइयँन की वीनत है सुड़ी।
एक जे लला लगा रए लेट
एक जे नंग-धुरंगे सेट
कड़त आ रओ मटका-सौ पेट
पेट पै रोटी धरें चपेट।
एक कौ जौनों हम मौं धोउत
दूसरौ मौड़ा तीनों रोउत
रात भर इनखौं ढाँकत फिरत
बता दो फिर हम काँसें सोउत?
घुरत रत तन ज्यों घुरतइ राँग
बढ़त जा रइ डाड़ी की डाँग
तौउ जे मौड़ी-मौड़ा करत
गरम कपड़न की रोजइ माँग।
रखा लए लम्बे-लम्बे बार
निकरतइ घर सें पटियाँ पार
बुआ दो प्रभू तेल की धार
खुपड़ियाँ कर लेबें सिंगार।
कुटुम में कैसें किऐ पढ़ायँ
फीस खौ पइसा काँसै ल्यायँ?
जेब की खौंप न भरबा पाई
नओ कुरता काँसैं सिलवाये?
कभउँ नइँ नोंन, कभउँ नइँ मिर्च
चलै कैसें जा घर कौ खर्च?
लिड़इ के काल लिबउवा आए
और सँग में दो धुंगा ल्याए,
न घर में नैकऊ बचो अचार,
डरी डबला में सेरक बार,
आजकल की दएँ दैत उधार?
काए सें राम करें सत्कार?
बढ़त गइ हर सालै सन्तान
न आओ दोउ जनन खौं ग्यान
आज देरी पै पटकत मूँड़
चटत जा घरी-घरी पै जान
करा जनसंख्या कौ बिस्तार
बने हम हाय देस के भार।
दयानिध कर दो बेड़ा पार।