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हमारा मरना / ताहा मुहम्मद अली
Kavita Kosh से
जब हम मरेंगे
और थका हारा निढाल दिल
मूंद लेगा अंतिम तौर पर अपनी पलकें
उन सबसे बेख़बर
कि हमने जीवन-भर किया क्या-क्या
कि पल-पल हमने किसकी उत्कंठा में बिताए
कि क्या-क्या देखते रहे स्वप्न
कि किन-किन बातों की करते रहे लालसा
और अनुभूति
तो
पहली चीज़
जो सड़-गल कर नष्ट होना शुरू होगी
हमारे अंदर की दुनिया में
वह
होगी
नफरत।
अंग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र