भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमारा सुख भरा संसार होगा / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमारा सुख भरा संसार होगा
कन्हैया का अगर दीदार होगा

चले आओ तुम्हे दिल ढूंढ़ता है
तुम्हारे ही लिये तो प्यार होगा

रचेगी हाथ मे मेंहदी हमारे
तुम्हारे वास्ते सिंगार होगा

नहीं हामी भरी पर हँस दिया वो
कहें कैसे कि ये इक़रार होगा

छिपाये जेब में फिरता है ख़ंजर
नहीं ऐसा कोई दिलदार होगा

हथेली पर रखेगा जो कलेजा
वही उल्फ़त का इस हक़दार होगा

बनाया नाखुदा जब साँवरे को
उसी के हाथ में पतवार होगा

झुकाया सर मगर माँगा न कुछ भी
ज़माने में वही खुद्दार होगा

हवा जब खुशबुओं के खत सहेजे
चमन अपना तभी गुलज़ार होगा