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हमारी आग को पानी करोगे / इन्दु श्रीवास्तव
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हमारी आग को पानी करोगे
दिली रिश्तों को बेमानी करोगे
हमें ऐसी न थी उम्मीद तुमसे
कि तुम इतनी भी नादानी करोगे
यक़ीनन आँधियों से मिल गए हो
दिये के साथ मनमानी करोगे
हया, ईमां, वफ़ा सब ख़त्म कर दी
बचा क्या है कि क़ु
र्बानी करोगे
ख़ुदा से आदमी बनकर दिखाओ
तो बन्दों पर मेहरबानी करोगे