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हमारी जब से यारी हो गयी है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
हमारी जब से यारी हो गयी है
गजब ये बेक़रारी हो गयी है
नहीं भाता हमें अब और कोई
तेरी सूरत जो प्यारी हो गयी है
बसा धड़कन में है एहसास तेरा
नज़र तेरी कटारी हो गयी है
गया मुँह फेरकर जब तू जहाँ से
बुरी हालत हमारी हो गयी है
पिया जब जाम उल्फ़त का तभी से
बड़ी गहरी खुमारी हो गयी है
दिये सी जल रही है ज़िन्दगानी
कि अब तो साँस भारी हो गयी हो
हमे बख़्शा खुदा ने तो सभी कुछ
मगर किस्मत भिखारी हो गयी है