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हमारी जिन्दगी / श्याम सुशील
Kavita Kosh से
(बाबा नागार्जुन और त्रिलोचन के प्रति)
आपका जीना
हमारी जिन्दगी के
आप युग-युग तक जिएं
जिससे
जी सकें हम:
मधु-हलाहल
पी सके हम
जिन्दगी का!