भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हमारी तरह / ओरहान वेली
Kavita Kosh से
|
सोचता हूँ क्या कामुक होते होंगे
सपने किसी टैंक के ?
क्या सोचता होगा
अकेला खड़ा हवाई जहाज़ ?
क्या गैस मास्क को नापसंद होगा
चाँदनी रात में सुनना
एकसुर गान ?
क्या रायफ़लों को नहीं आती होगी दया
हम इंसानों जितनी भी ?
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल