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हमारी बात उन्हें इतनी नागवार लगी / संजू शब्दिता

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हमारी बात उन्हें इतनी नागवार लगी
गुलों की बात छिड़ी और उनको ख़ार लगी

बहुत संभाल के हमने रखे थे पाँव मगर
जहां थे ज़ख्म वहीं चोट बार-बार लगी

कदम कदम पे हिदायत मिली सफ़र में हमें
कदम कदम पे हमें ज़िंदगी उधार लगी

नहीं थी क़द्र कभी मेरी हसरतों की उसे
ये और बात कि अब वो भी बेक़रार लगी

मदद का हाथ नहीं एक भी बढ़ा था मगर
अजीब दौर कि बस भीड़ बेशुमार लगी