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हमारी वफ़ा की तिजारत करोगे / डी. एम. मिश्र
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हमारी वफ़ा की तिजारत करोगे
सरों को कटाकर सियासत करोगे
वतन के लिए दिल में जज़्बा नहीं गर
तो कैसे वतन की हिफ़ाज़त करोगे
यही रास्ता तुमको आसान लगता
हमें बाँट करके हुकूमत करोगे
मेरे देश में कोई भूखा न सोये
ये छोटी-सी पूरी ज़रूरत करोगे
खुशी उनको दे दो खुशी माँगते जो
मेरा ग़म मिटाने की ज़ुर्रत करोगे
नज़र में है ख़ंजर, लबों पे हैं शोले
यक़ीं कैसे कर लूँ मुहब्बत करोगे