भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हमारी सच्ची विरासत / थीक न्हात हन / सौरभ राय
Kavita Kosh से
ब्रह्माण्ड मोती हैं
मैं इनमें से कुछ चुनकर तुम्हें सौंपना चाहता हूँ
जीवन का हर क्षण एक मोती है
जिसमें चमकते हैं धरती और आकाश
बादल और पानी
इन मोतियों को पिरोती डोर साँस है
देख लो, एक क्षण में सृष्टि का यह चमत्कार
हर साँस चिड़ियों का गीत है
साँस ध्यान में लीन प्राचीन वृक्ष है
खिलता हुआ फूल है
साँस प्रेम का दर्शन है।
तुम संसार के सबसे धनी व्यक्ति हो
भिखारियों की तरह क्यों व्यर्थ कर रहे हो इन साँसों को?
बन्द करो बेसहारा बने रहने का नाटक
लौट कर अपना लो अपनी सच्ची विरासत
भोग लो अपने हिस्से का सुख, प्रेम
और बाँट दो सभी के साथ।
थाम लो इस क्षण को हथेली में
पार करो संकटों की काल्पनिक नदी एक गहरी साँस के साथ
और गले लगाओ जीवन को।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सौरभ राय