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हमारे काम न आई कबू बफादारी / नवीन सी. चतुर्वेदी

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हमारे काम न आई कबू बफादारी।
हमारे संग हमेसा रही है लाचारी ॥

बतामें कों'नें कि सब तौ समझ न पामंगे।
हमें डरान लगी है हमारी खुद्दारी ॥

दवा नें काम कियौ तब हमें समझ आयौ।
कि कौन-कौन के हक में रही है बीमारी॥

हमें बचाने हे पुरखन के सन्सकार मगर।
बनाय डारौ समय नें हमें हू ब्यौपारी॥

नयी हवा कों पुरानी महक चखानी है ।
चलौ 'नवीन' चतुर्दिक लगामें फुलबारी॥