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हमारे दादा जी / कमलेश द्विवेदी

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सीधे-सादे नेक हमारे दादा जी.
लाखों में हैं एक हमारे दादा जी.

हमें खिलाते लड्डू-पेड़ा-रसगुल्ला,
टॉफी-बिस्कुट-केक हमारे दादा जी.

सैर करायें-कहें कहानी-सँग खेलें,
करते काम अनेक हमारे दादा जी.

चाहे जितना खेलें उधम मचायें हम,
नहीं लगाते ब्रेक हमारे दादा जी.

पापा-मम्मी डाँटे मारें ग़लती पर,
क्षमा करें मिस्टेक हमारे दादा जी.