भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हमारे दिल को जाने क्या हुआ है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
हमारे दिल को जाने क्या हुआ है
पुरानी याद में खोया हुआ है
बहा था आँख से जो एक आँसू
पलक में आज तक अटका हुआ है
हुआ था श्याम नीला आसमाँ भी
बरस कर किस क़दर निखर हुआ है
समन्दर तोड़ ही देता किनारा
नदी की आस में ठहरा हुआ है
संभाले से संभलता ही नहीं ये
तेरी जुल्फों में दिल उलझा हुआ है
तलाशे फिर रहे हैं आशियाना
न जाने शह्र किस खोया हुआ है
हमारी बन्दगी मंज़ूर कर लो
तेरी चौखट पे ही सज़दा हुआ है