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हमारे दिल को जाने क्या हुआ है / रंजना वर्मा

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हमारे दिल को जाने क्या हुआ है
पुरानी याद में खोया हुआ है

बहा था आँख से जो एक आँसू
पलक में आज तक अटका हुआ है

हुआ था श्याम नीला आसमाँ भी
बरस कर किस क़दर निखर हुआ है

समन्दर तोड़ ही देता किनारा
नदी की आस में ठहरा हुआ है

संभाले से संभलता ही नहीं ये
तेरी जुल्फों में दिल उलझा हुआ है

तलाशे फिर रहे हैं आशियाना
न जाने शह्र किस खोया हुआ है

हमारी बन्दगी मंज़ूर कर लो
तेरी चौखट पे ही सज़दा हुआ है