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हमारे प्यार की जानम कहानी है अभी बाकी / बाबा बैद्यनाथ झा
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हमारे प्यार की जानम कहानी है अभी बाकी
नहीं बूढ़ा हुआ अबतक जवानी है अभी बाकी
हुई हैं आज तक केवल सदा मनुहार की बातें
मिलन की रात वह आए सुहानी है अभी बाकी
लिखे थे ख़त तुम्हें कितने नहीं उत्तर कभी आया
भले अब ना लिखूँ फिर भी जुबानी है अभी बाकी
नहीँ मैं कह सका तुमसे जिसे है आज भी कहना
कही हैं हाल की बातें पुरानी हैं अभी बाकी
रव़फ़ीबों से जरा बचकर तुम्हें है आज भी रहना
अदाएँ आज भी तुममें लुभानी हैं अभी बाकी
कभी दो जिस्म का मिलना नहीं होता मुकम्मल है
जहाँ के और भी आगे रुहानी है अभी बाकी
हमारी एक रचना से नहीं संतोष है सबको
अभी तो और भी गज्लें सुनानी है अभी बाकी
कभी फ्बाबाय् नहीं देखो किसी की बाहरी सूरत
किसी की झुर्रियों में भी नूरानी है अभी बाकी