हमारे बच्चे नहीं जानते तोतो-रे नोनो-रे / वन्दना टेटे
चिन्तित हूँ और उदास भी
कि छूट रही है मेरे बच्चों से
बहुत सारी चीज़ें
बहुत बड़ी दुनिया
जिन्हें वे शायद ही जान पाएँ ।
बन्द कमरे में,
आँखें खोलते ही
टी0वी0, कम्प्यूटर, नेट की दुनिया में
वायर के जरिए आती सूचनाओं
और रंगीनियों के अभ्यस्त होते
मेरे बच्चों की अंगुलियाँ
रिमोट, माउस और मोबाइल के बटनों पर
खेलती नाचती थिरकती हैं ।
और बन्द कमरे में सारे मौसम
गुज़र जाते हैं।
बन्द कमरे में मालूम है उन्हें
मौसम की ख़बरें,
देश-विदेश
मानवों-दानवों एवं जानवरों की जानकारी
पर नहीं है उन्हें पता
कि पहली तेज़ बारिश का पानी जब
सूखी नदी में उतरता है
तो अपने आने की सूचना कैसे देता है
और पातर काका
क्यों जुते बैलों को तोतो-रे नोनो-रे कहते हैं
पथराई धरती
क्यों सोंधी महक से लबरेज हो जाती है ।
सच में
मैं चिन्तित और उदास हूँ
कि नहीं जान पाएँगे मेरे बच्चे
डोरी, कुसुम से तेल निकालने की
मछली और चिड़िया पकड़ने की
देशज तकनीक ।
महुआ लट्ठा, इमली के बीज के साथ
औटाया गया खाने का स्वाद ।
सरहुल पर्व से पहले
जंगल के फल-फूल को तोड़ने-खाने की मनाही
करमा के बाद खेतों में खड़ी
भेलवा की टहनियों का राज
आह ! नहीं जान पाएँगे मेरे बच्चे
नहीं जान पाएँगे मेरे बच्चे
कुली बुढ़ी, सनई फूल और चूहे की कहानी
नहीं जान पाएँगे मेरे बच्चे
बारिश से पहले क्यों चींटियाँ
अपने अण्डे लिए भागती हैं
नहीं जान पाएँगे
पाडू, दुरंग, ठड़िया, लहसुवा के बारे में
बोरोःका, पेछौरी, करया, पड़िया।
टैटू तो हैं, गोदने खो गए
गोबर से लिपे आँगन में
चांदनी रात में
या कि बोरसी की आग के पास
नानी-दादी से कहानी सुनने का मज़ा
आग में पके शकरकन्द और मछली का स्वाद
नहीं जान पाएँगे ।
आह! कितनी-कितनी सारी जानकारियाँ
छूट जाएँगी हमारे बच्चों से
क्योंकि नहीं लिखी गई हैं किताबें
इन पर, नहीं बने हैं साॅफ़्टवेयर
और नहीं रहे अब धुमकुड़िया, गितिओड़ा, गिताःचाड़ी
और इसलिए
छूट जाएँगी चीज़ें मेरे बच्चों से
छूट जाएगी दुनिया हमारे बच्चों से ।