Last modified on 21 अक्टूबर 2013, at 11:41

हमारे मन बसि गइलें बमभोला / महेन्द्र मिश्र

हमारे मन बसि गइलें बमभोला।
सखि री मोहे नीको ना लागे कछु,
दीन दयाला उमरूवाला, पार लगाने वाला,
भोजन भांग धतूरा के होला,
हमारे मनबसि गइलें बम भोला।
अवढर ढरन शरण प्रतिपालन,
दुष्ट दलन दानव कुल घातन,
है मतवाला चाह निराला,
पिए जहर के प्याला जेकरा लटके बगल में झोला,
हमारे मन बसि गइलें बम भोला।
द्विज महेन्द्र पूजत हर-हर-हर,
नीलकंठ धर चढ़त बयल पर,
जोगी आला अटा विसाला,
बाघम्बर के छाला,
जेकर बात सभी अनमोला,
हमारे मनबसि गइले बम भोला।