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हमारे समय में / श्रीप्रकाश मिश्र
Kavita Kosh से
हमारे समय में
जिनके पास कविता थी
उनके पास सपने नहीं थे
जिनके पास सपने थे
उनके पास समय नहीं था
कविता भी नहीं थी
समय से सपना ख़ारिज था
क्योंकि सबके पास एक ही सपना था
वही सबकी कविता में था
उसे उतारने की बातें कही गई
और उसे ही कविता कहा गया
लेकिन उसमें कविता नहीं थी
क्योंकि उसमें सपना नहीं था
वह सिर्फ़ समय थी
समय कविता नहीं होता
कविता समय के पार होती है
ऐसा मैं नहीं
वह आलोचक कह रहा था
जिसकी तूती बोलती थी
हमारे समय में
यानी हमारे समय में
कविता के नाम पर जिसकी तूती बोलती थी
वह आलोचक था
कवि नहीं
इसलिए कविता में कविता नहीं थी