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हमार चित्त जब तहरे मे लीन होला / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’

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हमार चित्त जब तहरे में लीन होला
तबहीं ऊ स्थिर होला, सत्य होला।
हे सत्य स्वरूप, अइसन सुदिन कब आई
कि हम सत्य-सत्य जप के
आपन सब बुद्धि सत्य के सउँप के
सांसारिक सीमा के लांघ के
तहरा पूर्ण प्रकाश के देख सकब।
तहरा पूर्ण प्रकाश के पा सकब।।
तहरा से दूर होते
हम अपना असत्य में बन्हा जाईले।
तरह-तरह के कुकभेंड करे लगिले।
आपन अहंभाव छोड़ के
जब हम तहरे में लीन हो जाएब
तबही हमार रक्षा होई
तबहीं हम तहरा लेखा सत्य बनब।
तहरा में लीन हो के
हमार मृत्यु कब मरी?