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हमीं मुकुट हैं / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
हम हैं नन्हे वीर सिपाही
भारत देश विशाल के,
हमीं मुकुट हैं मणियों वाले
इसके उज्ज्वल भाल के!
छोटा मत समझो हमको
हम उजियाले के दीप हैं,
हर मुश्किल को झेला हमने
नन्ही हँसी उछाल के!
पर्वत, दरिया, तूफानों के
बीच पला अपना साहस,
नहीं कभी घर छिपकर बैठे
बाधाओं को टाल के!
मोती-माणिक से गूँथेंगे
हम जयमाला देश की,
चम-चम मोती ले आएँगे
सारा सिंधु खंगाल के!
लो, सब कुछ कुर्बान किया
आदर्शों की लीक पर,
ऊँची मर्यादा भारत की
रखनी हमें सँभाल के!