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हमें क्यों कर के यों बेघर गये हो / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
हमें क्यों करके यों बेघर गये हो।
जमाने के सितम से डर गये हो॥
जहाँ जाकर न कोई लौट पाया
किसी ऐसे नगर क्योंकर गये हो॥
पड़े हो सामने सोये हमारे
कहें क्यों लोग तुमको मर गये हो॥
है अब तो साथ बस यादें तुम्हारी
जिन्हें सौगात हमको कर गये हो॥
रहेगी चश्में नम अब तो हमेशा
जो इनमें अश्क़ इतने भर गये हो॥
अगरचे राह में था छोड़ना यों
तो क्यों जन्मों का वादा कर गये हो॥
गिराया बीच धारा में हमें यों
कि पैरों बाँध कर पत्थर गये हो॥