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हमें ख़बर है वो मेहमान एक रात का है / सैफ़ुद्दीन सैफ़

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हमें ख़बर है वो मेहमान एक रात का है
हमारे पास भी सामान एक रात का है

सफ़ीने बरसों न रक्खेंगे साहिलों पे क़दम
तुम्हें गुमाँ है कि तूफ़ान एक रात का है

है एक शब की अक़ामत सारा-ए-दुनिया में
ये सारा खेल मिरी जान एक रात का है

खुलेगी आँख तो समझोगे ख़्वाब देखा था
ये सारा खेल मिरी जान एक रात का है

तुम्हारी शान हमारी बिसात क्या है यहाँ
शिकवा-ए-ख़ुसरू ख़ाक़ान एक रात का है

बस एक शब का उजाला है उस के दामन में
कि ये चराग़ निगहबान एक रात का है