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हमें चित्र जिसका दिखाया गया / राकेश कुमार
Kavita Kosh से
हमें चित्र जिसका दिखाया गया।
न मंडप में उसको बिठाया गया ।
भरोसा दिया था जिन्होंने हमें,
उन्हें ख़ूब व्यंजन खिलाया गया।
हमें चाँद तारे लगे घूमते,
तभी सात चक्कर घुमाया गया।
हुए भस्म अरमान जब अग्नि में,
विवाहित हमें तब बताया गया ।
न किस्सा किसी से कभी कह सके,
हमें किस तरह से फँसाया गया।
न चारा हमारे रहा सामने,
समझ भाग्य रिश्ता निभाया गया ।