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हमें तन्हाईयाँ औ ग़म मिला है / रंजना वर्मा

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हमें तन्हाईयाँ औ ग़म मिला है
नहीं मेरी ये किस्मत की खता है

जिबह मत कीजिये यूँ जानवर को
हुआ उसका भी रब से वास्ता है

मरे की खाल लोहा फूँक देती
गजब होता असर हर आह का है

हुआ दहशत का ऐसा बोलबाला
बशर हर इक यहाँ सहमा हुआ है

बहाना अश्क़ भी बेहद जरूरी
पिघल के फिर कोई अरमाँ बहा है

कहीं है आग रातो दिन सुलगती
शहर कोई कहीं उजड़ा हुआ है

तलाशें हमसफ़र कोई जहाँ में
सफ़र तनहाइयों का सिलसिला है