हमें लेकर के कितनी दूर तक जाएगी ज़िन्दगी,
अभी और रंग कितने हमको दिखलाएगी ज़िन्दगी|
कभी सोचा न था इक दिन मेरा भी हश्र ये होगा,
मगर अब सोचता हूँ कैसे हाथ आयेगी ज़िन्दगी|
बहुत वीरानगी है अब यहाँ पर दिल नहीं लगता,
न जाने फिर कभी क्या गुनगुनायेगी ज़िन्दगी|