हमें सुनाओ नई कहानी / शकुंतला कालरा
आओ नानी, आओ नानी,
हमें सुनाओं नई कहानी।
नहीं सुनेंगे बात पुरानी,
सबने मिलकर है यह ठानी।
अच्छा बच्चों, तुम्ही बताओ,
पास हमारे तुम आ जाओ।
झटपट पहले खाना खाओ,
तभी कहानी नई सुनाओ।
बात सभी ने झटपट मानी,
खाना खाया, पिया पानी।
भूल गए सारी शैतानी,
कान लगा के बैठी नानी।
एक रानी थी हुक्म चलाती,
उसे कहानी एक न आती।
नहीं चुट्कला गीत सुनाती,
पढ़ो-पढ़ो बस वह चिल्लाती।
सदा देखती टी॰वी॰ रहती,
बच्चों से पढ़ने को कहती।
हरदम रहती चहकी-चहकी,
बातें करती बहकी-बहकी।
बच्चों ने भी मज़ा चखाया,
रानी को शाला भिजवाया।
पोथी-बस्ता तभी मँगाया,
पर रानी को रास न आया।
कान पकड़कर बोली रानी,
नहीं पढ़ी, रह गई अज्ञानी।
बात पढ़ाई की ना जानी,
नहीं करूँगी अब मनमानी।
देख समझ उनकी चतुराई,
मन ही मन नानी घबराई।
उसको नहीं कहानी भाई,
फिर भी देखो वह मुस्काई।