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हमेशा आँख ना धोएँ / अंजनी कुमार सुमन
Kavita Kosh से
हमेशा आँख ना धोएँ
ग़मों को तौलकर रोएँ
पुरानी याद को अक्सर
कभी रख दें, कभी ढोएँ
ये नौबत है बला सबकी
किसे पाएँ, किसे खोएँ
गलत विश्वास में क्यों हैं
उगेगा जो, वही बोएँ
सही में जीत है मुश्किल
मगर क्यों हारकर सोएँ