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हमेशा की तरह माने नहीं मेरे मनाने से / लव कुमार 'प्रणय'
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हमेशा की तरह माने नहीं मेरे मनाने से
सनम आये नहीं देखो कभी भी फिर बुलाने से
कसम दे प्यार की उनका गला जब रुँध गया यारा
नहीं फिर रोक पाये हम उन्हें दिल से लगाने से
चले जाते कभी जब दूर लगता जग हमें सूना
बहारें लौट आती हैं उन्हीं के लौट आने से
पता था ये उन्हें अच्छी तरह कमज़ोर दिल का हूँ
मगर वह बाज आते ही नहीं मुझ को सताने से
मुहब्बत से रहो मिलकर,खुशी बाँटो ,न गम पालो
बनी रहती है ये सेहत सुनो हँसने -हँसाने से
घड़ी की सूइयाँ मिलने लगीं हैं अब तो आ जाओ
न आती नींद भी हमको कहें क्या अब जमाने से
'प्रणय 'कैसे करें इज़हार अपने प्यार का अब हम
अटक जाती हैं ये साँसें नज़र उनसे मिलाने से