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हमेशा के लिए / नोमान शौक़
Kavita Kosh से
निकल जाते हैं सपने
किसी अनन्त यात्रा पर
बार-बार की यातना से तंग आकर
गीली आँखें
बार-बार पोंछी जाएँ
सख्त हथेलियों से
तो चेहरे पर ख़राशें पड़ जाती हैं
हमेशा के लिए !