हमेशा पास रह कर भी नज़र से दूर होता है।
मिला है क्या कि जिससे इस क़दर मग़रूर होता है॥
बसा रहता है जो दिल में उजाला बन निगाहों का
खुदाई में मिला जो वह ख़ुदा का नूर होता है॥
करें कोशिश हज़ारों पर सभी पाते नहीं मंज़िल
मुक़द्दर साथ दे जिसका वही मशहूर होता है॥
परस्तिश है किया करता सदा अल्लाह की लेकिन
खुदी को ही समझ कर सब नशे में चूर होता है॥
तमन्ना आसमानों की किया करता हमेशा ही
न हो चाहे बहुत पर जो मिला भरपूर होता है॥
जिसे बख्शे ख़ुदा दौलत जिसे दे रूप औ रुतबा
ज़माने में उसे अपने पर खूब गुरूर होता है॥
बुढ़ापे में भले माँ बाप को वह बोझ ही समझे
मग़र बेटा लगे अपना यही दस्तूर होता है॥