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हमेशा / पाब्लो नेरूदा / विनोद दास
Kavita Kosh से
मैं ईर्ष्यालु नहीं हूँ
चाहे जो कुछ भी मेरे सामने आए
अपने सानो पर झुके किसी मर्द के साथ तुम आओ
अपने गेसुओं में सैकड़ों मर्दों के साथ आओ
अपने वक्षों और पाँवों के बीच
हज़ारों मर्दों के साथ आओ
डूबे हुए मर्दों से लबरेज़
उस नदी की तरह आओ
जो उद्दाम समुद्र की तरफ़ नीचे बहती है
शाश्वत समुद्री फेन की तरफ़
समय की तरफ़
वहाँ इन सबको लाओ
जहाँ मैं तुम्हारा इन्तज़ार कर रहा हूँ
फिर भी हम हमेशा अकेले ही होंगें
हमेशा मैं और तुम
अकेले इस पृथ्वी पर
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास