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हम्में गँवारिन नारी, मुरखा अनाड़ी भारी / छोटेलाल दास

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हम्में गँवारिन नारी, मुरखा अनाड़ी भारी।
कैसे जैबै गुरु केरो पास, हे सखिया मोरी॥टेक॥
देहो छै मैलो हमरो, साड़ियो छै मैलो हमरो।
नैं जानियै करै ले सिंगार, हे सखिया मोरी॥1॥
तन-मन पाप करौं, मन में विकार धरौं।
गुरु सें मिलैबै कैसें आँख, हे सखिया मोरी॥2॥
हम्में ते कपटी नामी, सतगुरु अंतरजामी।
कैसें के बोलबै हम्में झूठ, हे सखिया मोरी॥3॥
साधु-संग कैलौं नाहिं, साधु-सेव कैलौं नाहिं।
कैसें होतै ‘लाल’ के उद्धार, हे सखिया मोरी॥4॥