भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम-तुम जिसे कहते हैं शादी / शैलेन्द्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ओ पीटर, ओ ब्रडर, हैरी
ओ वल्ला, ओ मिस्टर वैरी
मिस्टर आयर आय यू वेयर?
हम तुम जिसे कहता है शादी
यू नो, है पूरा बर्बादी
जो तुम ललचाओगे पीछे पछताओगे
माइण्ड यू, जाएगी आज़ादी
माइण्ड यू, जाएगी आज़ादी

जब मर्ज़ी आओ, जब मर्ज़ी जाओ
डालो कही पे भी डेरा
सड़कों पे गाओ सीटी बजाओ
कर दो कही भी सवेरा
वाह-वाह-वाह-वाह
हम तुम जिसे कहता है शादी
यू नो, है पूरा बर्बादी
जो तुम ललचाओगे पीछे पछताओगे
माइण्ड यू, जाएगी आज़ादी
माइण्ड यू, जाएगी आज़ादी

जिस घर में हम रख दें क़दम
होती है क्या ख़ातिरदारी
शादी जो की, छुट्टी हुई
सूरत न देखेगी पारी
हम तुम जिसे कहता है शादी
यू नो, है पूरा बर्बादी
जो तुम ललचाओगे पीछे पछताओगे
माइण्ड यू, जाएगी आज़ादी
माइण्ड यू, जाएगी आज़ादी

रंगीनियाँ, ये मस्तियाँ
सब कुछ है यारों के दम से
क़िस्मत की बात, खुशियाँ है साथ
दुनिया क्यों जलती है हमसे
वाह वाह वाह वाह
हम तुम जिसे कहता है शादी
यू नो, है पूरा बर्बादी
जो तुम ललचाओगे पीछे पछताओगे
माइण्ड यू, जाएगी आज़ादी
माइण्ड यू, जाएगी आज़ादी

मिस्टर आयर
डिड यू हियर ?

1946