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हम-तुम जैसा है / संजय पंकज

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आज पूछते
जाने क्यों तुम
मौसम कैसा है।
मैं क्या जानूँ
बस इतना ही
हम तुम जैसा है।

थोड़ी हरकत
ज्यादा हलचल
शोर शराबा है,
मतलब उनका
बामतलब ही
खून खराबा है,

रिश्ते निभते
जानोगे जब
हमदम कैसा है।

आते जाते
सब घबराते
खेल तमाशा है,
रुककर थमकर
कदम कदम पर
हार हताशा है,

जीत उसीकी
प्रीत उसीकी
दमखम कैसा है।

जिसकी लाठी
भैंस उसीकी
उसका ईश्वर है,
सागर उसका
उसकी धरती
उसका अंबर है,

पता चलेगा
सुर से स्वर से
सरगम कैसा है?