Last modified on 18 फ़रवरी 2019, at 04:07

हम अलग सी एक ख़ुशबू जानते हैं / विकास जोशी

हम अलग सी एक ख़ुशबू जानते हैं
हैं बरहमन और उर्दू जानते हैं

काम चुप रह के किया करते हैं लेकिन
रात के सब राज़ जुगनू जानते हैं

बात उनसे दोस्ती की राएगां है
जो फ़क़त ख़ंजर-ओ-चाकू जानते हैं

ख़ामुशी से आ गिरे दामन पे अक्सर
दर्द की शिद्दत को आंसू जानते हैं

क्यूं महकता है चमन आमद से तेरी
फूल भी क्या तेरी ख़ुशबू जानते हैं

अर्ज़ियाँ कब रोकना है कब बढ़ाना
ये हुनर दफ्तर के बाबू जानते हैं

मुश्किलों में मुस्कुरा के जीने वाले
फिर यक़ीनन कोई जादू जानते हैं