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हम आज़ाद हैं / कुँअर रवीन्द्र
Kavita Kosh से
मैं चीख़ कर बोला
हम आज़ाद हैं
अपनी कनपटी पर टिकी हुई
पिस्तौल को छुपाते हुए
उसने कहा
हम आज़ाद हैं
अभी -अभी लुटी
अस्मत के दाग़ शरीर से मिटाते हुए
फिर सबने कहा एक स्वर में
हम आज़ाद हैं
और डूब मरे चुल्लू भर पानी में
शर्म से