हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं / कुमार मंगलम
जहाँ भारत भाग्य विधाता का
गुणगान करते हुए
हरिचरना कब का सरग
सिधार गया है
हमने सरकारें बनाईं
फिर उसी सरकार को रहे गरियाते
इस उम्मीद में की वे सुनेंगे हमारी बात
वो भी तो हमारे बीच से आते हैं
पर उनके गणित की सत्ता
चिरन्तन रही
सत्तासीन तो सत्ता में हैं ही
जो नहीं हैं सत्ता में
उनकी सत्ता भी मुक़ाबिल है
हर बार जोड़ा उन्होंने जाति का गणित
कभी धर्म कभी सँख्या के बल पर
ठगते रहे
उनके गणित के हर प्रश्न
का जबाब विजय ही रहा हर बार
चाहे वो सत्ता में रहे या विपक्ष में
वो गणतन्त्र के दिन
लेते रहे भव्य सलामी
और
गणतन्त्र का आख़िरी आदमी
अपने आख़िरी सांस को बचाने के लिए
आख़िरी दम तक लड़ता रहा
गणतन्त्र और आज़ादी के फ़रेब में
वो हमें बदलते रहे
और हम उन्हें बदलने का भरम पाले रहे
हमारा निशाना भी तो हमेशा से चुकता रहा
हमारी मर्यादा हमें भीम नहीं बनने दे रही थी
कि हम करें प्रहार उनके मर्मस्थलों पर
हम करते रहे वज्र पर प्रहार वज्र से
पर इस महाभारत में वे बने रहे
अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले
कभी द्रोण, कभी भीष्म,
कभी दुर्योधन तो कभी जयद्रथ भी
इस महाभारत के अन्त में
नहीं बने विजेता पाण्डव
राजनीति के महाभारत में
विजेता दुर्योधन ही रहा
मरती गई पाण्डवों की सम्वेदना
वो अब किसी ग़रीब के लिए नहीं लगाते
जान की बाज़ी
चूकती सम्वेदना, मरती आदमियत
और चारों तरफ़ शोर ही शोर में
उन्होंने बदल दिए गणतन्त्र के मायने
हम भी कब बदल गए
पता ही नहीं चला
हरिचरना अब स्वप्न में भी नहीं आता
अब तो, बस, शोर है, शोर ही
आपकी चुप्पी आपकी जान का
सबसे बड़ा शत्रु है
आप भी शोर में शामिल हो जाइए
नहीं तो क्या पता
आपके बगल से एक उन्मादी भीड़ गुज़रे
और उस शोर में दब जाए आपकी चीख़
चीख़ जो पूरी जान लगाकर निकली होगी
अन्तिम बार
शामिल हो जाइए भीड़ में
चिल्लाइए — भारत माता की जय
कानफोड़ू आवाज़ में कहिए — वन्देमातरम
आपकी स्वतन्त्रता का शोर से अलग करके
नहीं किया जाएगा मूल्याँकन
कि स्वतन्त्रता भी अब एकमात्र शोर है
जश्न मनाइए कि हर गणतन्त्र
हरिचरना का श्राद्ध होता रहे
हरिचरना नहीं है
अब तो, बस, शोर है चारों तरफ़
भारत माता की जय और वन्दे मातरम के उद्घोष में
हर बार मृत हो जाता है कोई इस विशाल माता का सुपूत
उसके घर के ख़ालीपन को
शोर से नहीं भरा जा सकता
गणतन्त्र ने हमें नहीं
हमने बदल दिया है शोर से गणतन्त्र को
अब तो गणतन्त्र मने सिर्फ़
शोर
शोर, शोर, शोर, शोर, शोर