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हम एक ठण्डे शहर की एक ठण्डी गली में रहते हैं / महेश सन्तोषी

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हम एक ठण्डे शहर की एक ठण्डी गली में रहते हैं
रात-दिन बहुत से राख के ढेरों को
पास से चलते-फिरते देखते रहते हैं
आप किस शहर में रहते हैं?

यहाँ किसी तरह की आग कहीं नहीं दिखती
हर तरफ बस बुझी राख दिखती है
धुआं ऊपर उठने से बहुत डरता है
धूप नीचे उतरने से सहमती है
एक अरसा हुआ चिनगारियाँ इधर होकर नहीं गुजरीं
तीलियाँ यहाँ नहीं बिकतीं
यह तो बुझे हुए दियों की बस्ती है
इस शहर की रूह तक बर्फ की कई चादरें लपेटे है
यहाँ धड़कते हुए दिल भी सर्द बर्फ से दबे रहते हैं
आप किस शहर में रहते हैं?

बड़ी-बड़ी कीमतें हैं यहाँ मुँह बन्द रखने की
बर्फ सा बने रहने की-
न कुछ देखने की, न सुनने की, न कहने की!
किसी ने थोक में खरीद ली हैं-
लोगों की चेतनाएँ, ऊर्जाएँ, आस्थाएँ
कोई तो वजह होगी ही, शहर भर के ठिठुरते रहने, काँपते रहने की
पहले बेच तो दें अपनी आत्मा, बाकी बची हुई उम्र की धड़कनें
फिर चाहें तो आप भी इस शहर में रह सकते हैं।
आप किस शहर में रहते हैं?