भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हम ऐसे दोस्तों पे / अशेष श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
हम ऐसे दोस्तों पे
अपनी जान देते हैं...
जो हमारे बिना लिखे
पूरा पढ़ लेते हैं...
और हमारे बिना बोले
पूरा समझ लेते हैं...
मुस्कराते चेहरे के पीछे
हमारे आँसू देख लेते हैं...
भीड़ से घिरे होने पर भी
हमें तनहा देख लेते हैं...
सारी दुनियाँ हो खिलाफ
पर हमारा साथ देते हैं...
हमारी ग़लत बातों पर
हमें हक़ से टोक देते हैं...
जब भी हम डगमगायें
मजबूती से थाम लेते हैं...
हम ऐसे दोस्तों पर
अपनी जान देते हैं...