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हम कभी जब दर्द के किस्से सुनाने लग गये / मुनव्वर राना
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हम कभी जब दर्द के किस्से सुनाने लग गये
लफ़्ज़ फूलों की तरह ख़ुश्बू लुटाने लग गये
लौटने में कम पड़ेगी उम्र की पूँजी हमें
आपतक आने ही में हमको ज़माने लग गये
आपने आबाद वीराने किए होंगे बहुत
आपकी ख़ातिर मगर हम तो ठिकाने लग गये
दिल समन्दर के किनारे का वो हिस्सा है जहाँ
शाम होते ही बहुत-से शामियाने लग गये
बेबसी<ref>विवश्ता</ref> तेरी इनायत<ref>कृपा</ref> है कि हम भी आजकल
अपने आँसू अपने दामन पर बहाने लग गये
उँगलियाँ थामे हुए बच्चे चले इस्कूल को
सुबह होते ही परिन्दे चहचहाने लग गये
कर्फ़्यू में और क्या करते मदद एक लाश की
बस अगरबती की सूरत हम सिरहाने लग गये
शब्दार्थ
<references/>