भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम कां कै रये महल अटारी मिल जावै / महेश कटारे सुगम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

हम कां कै रये महल अटारी मिल जावै
दोई टैम रोटी तिरकारी मिल जावै

हम कां चाहत भरै तिजोरी पइसन सें
काम चलावे तनक उधारी मिल जावै

फसल उनारी<ref>रबी की फ़सल</ref> सें पूरौ अब नईं पर रऔ
अच्छौ रैहै अगर सियारी <ref>खरीफ की फ़सल</ref> मिल जावै

मेंनत करकें ज्वानी में हो गए बूड़े
मौड़ा खों डूटी सरकारी मिल जावै

ऐसौ कऊँ हो जाये अगर तौ आय मजा
मोहरन सें इक भरी कनारी<ref>मिटटी का बर्तन</ref> मिल जावै

कैसे हौ नादान कभऊं ऐसौ भऔ है
बिना करें दौलत अबढारी<ref>अपने आप</ref> मिल जावै

शब्दार्थ
<references/>