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हम के छी अहाँक? / दीप नारायण

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हम के छी अहाँक
अहाँ के छी हमर
बाजू ने!
बाजू ने! हम के छी अहाँक?

गुम्मी किये लधने छी
कहु ने!
कहु ने हम के छी अहाँक?

हमर हृदयक मुहथरि पर
ठाढ़ भ' ओ
झकझोरि-झकझोरि
करैत रहली प्रश्न आ हम
बिधुआयल एकटक
निघारति रहलहुँ ओहि चन्ना केँ

जकर सुन्दर आँखि मे
हवस नहि
भड़ल अछि उमटाम अगबे प्रेम
जकर आँचर सँ चुबैत अछि
टप-टप नेहक बुन्न
जके भावनाक आँगन मे
उठैत-बैसैत, हँसैत-बजैत
जीबैत छी हम अपने जिनगी

जकरा देखिते हमरा मुहपर
पसरि जाइये एकटा मुस्कि
हृदयमे होइछ सुखद अनुभूति
जकर कानब लगैछ गीत
जकरा हँसबामे छै जीवनक संगीत

ठीके,
ओ हमर के छी?
ओ हमर अपन नहि छी
मुदा, छी अपनो सँ बढ़ि क'

किछु सम्बन्ध
मोनक ओहि आँगन सँ होइछ
जतय अपन-आनक भाव मेट जाइछ
आ तखन नहि रहि जाइछ
बुझब जरूरी
हम के छी अहाँक?