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हम को तन्हाई ये जगातीं है / रंजना वर्मा
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हम को तनहाई ये जगातीं है
रात भर नींद नहीं आती है
रात बस करवटें बदल बीते
याद तेरी हमें रुलाती है
आँसुओं की बरात आँखों मे
बिन बुलाये ही चली आती है
हर सुबह जार जार है रोती
रात भर शम्मा मुस्कुराती है
कुछ लकीरें हैं बन्द मुट्ठी में
जिस को तकदीर खोल जाती है
प्यार सब को है लुभाये रखता
जिंदगी वरना किसे भाती है
अब है लहरों के हवाले कश्ती
देखना है ये किधर जाती है