हम गीत गुनगुना लें / दीनानाथ सुमित्र
गीतों का द्वीप आया, नैया यहीं लगा लें
धरती हरी-भरी है, हम गीत गुनगुना लें
नभ में घिरी घटायें
नीचे इन्हें बुलायें
इन से भी गीत सुन लें
इनको भी हम सुनायें
फलदार पेड़ कितने इनपर कुटी बसा लें
गीतों का द्वीप आया, नैया यहीं लगा लें
धरती हरी-भरी है, हम गीत गुनगुना लें
जी लेंगे हम खुशी से
नजदीक जिंदगी से
शत्रु न कोई होगा
क्यों शत्रुता किसी से
हम प्यार बाँट जग से कुछ प्यार आज पा लें
गीतों का द्वीप आया, नैया यहीं लगा लें
धरती हरी-भरी है, हम गीत गुनगुना लें
खेती भी हम करेंगे
मिट्टðी से हम लड़ेंगे
अपने अभाव अपने
हाथों से हम हरेंगे
श्रम स्वर्ण से भी ऊँचा, गहना इसे बना लें
गीतों का द्वीप आया, नैया यहीं लगा लें
धरती हरी-भरी है, हम गीत गुनगुना लें