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हम घर घुरि रहल छी / नारायणजी

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हम घर घुरि रहल छी
घरसँ जएबा बेर
छुटैत जा रहल छल
एकटा कवच
कवचमे सुरक्षित
पाछू छुटैत जा रहल छल
अपन हँसैत एकटा संसार

हम घर घुरि रहल छी
घर घुमैत
छूटि नहि रहल अछि
मीलक पाथर
किछुओटा
आबि रहल अछि
अपन धरती
अपन स्मृति आ उत्ताप
आगू अबि रहल अछि
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