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हम चाहते हैं / इधर कई दिनों से / अनिल पाण्डेय
Kavita Kosh से
हम चाहते हैं
धरती बदल जाए
आसमान बदल जाए
धरती की जगह आसमान
आसमान की जगह धरती
बीच की जगह मचल जाए
मचल जाए हृदय
मचल जाए जीवन
मचल जाए दुनिया
रंगत बदल जाए
हम चाहते हैं
समय इसी तरह निकल जाए
निकल जाए लोग इस समय से
समय रहते पहुंच जाएं
समय पर जहां चाहते हैं पहुंचना
हम चाहते हैं लोग पहुंच जाए
जैसे पहुंचता है जीवन गहरे अंधकार में
जैसे पहुंचता है समय गहरे संसार में
वैसे पहुंच जाए दुनिया
अपने व्यवहार मे