हम जिएँगे साथी! / शमशाद इलाही अंसारी
हम जिएंगे साथी
एक साथ इस आसमान के नीचे
अनन्त काल तक जिएंगे हम
इसलिए नहीं कि हम प्रेम करते हैं
बल्कि इस लिये भी
क्योंकि विचारों के लिये जीना
प्रेम से बडी़ बात है
अज़्म के लिये मर जाना
शहादत होती है।
हम जिएंगे साथी एक साथ
क्योंकि हम में साहस है
पुराने तौर-तरीकों को
चुनौती देने का
उन्हें कुरेद-कुरेद कर
उखाड़ देने का संकल्प है
हम जिएंगे साथी एक साथ
क्योंकि हमारे भीतर
नये का भ्रूण है
जिसके एतिहासिक संचालक नियम
है हमारे साथ
यही हमारी प्रेरणा पूँजी है
हम जिएंगे साथी एक साथ
क्योंकि नये का जन्म
प्रसव पीडा़ है
पुराने तन्तुओं के टूटने की
नया नहीं आता
चुपचाप, सहमें हुए
यह नियम है-
नये के बिना क्रान्ति नहीं होती।
हम जिएंगे साथी एक साथ
नये की क्षमताओं के साथ
उसकी ताकत के साथ
उसकी अपराजय ऊर्जा के साथ
हम जिएंगे साथी एक साथ
पुराने को एक-एक पल
अपनी हथेलियों से सरकता हुआ
देखने के लिये।
एक के बाद एक नये की
श्रॄंखला को जन्म देने के लिये।
हम जिएंगे साथी एक साथ
इस आसमान के नीचे
अनन्त काल तक
इसलिए
क्योंकि नये को
झुठलाया नहीं जा सकता।
रचनाकाल : 05.04.1991