एक तेज़ धारा में आदमक़द
हम टिकने के लिए
खड़े हैं कतारों में जैसे हों एक अदद
हम बिकने के लिए
जीवन में तिनका होना
कौन चाहेगा
बस इनका-उनका होना
धब्बों को धब्बों से धोते हैं
चमकदार —
हम दिखने के लिए
खिड़की से
दुपहर की धूप को निहार
हो गए पसीने से तार-तार
अनभोगे को भोगे रूप में
जनमे हैं
हम लिखने के लिए