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हम तइयो फूले बांटव / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना
Kavita Kosh से
हम केकरा कहू/की कहू
कइसे कहू/ केतना कहू
केकरो कहला से न हरत
पीर मन के, मन में रहत
दोसर सुनत, हंसी उड़ाएत
बता-बता क ठट्ठा करत
अप्पन बात मन में रखब
हंस के अप्पन जिनगी काटब
कोनो केतनो कांटा बोएत
हम तइयो फूले बांटव।